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खेती-बाड़ी

सब्ज़ियों के दामों ने बढ़ाई आम आदमी की मुश्किलें, किसानों की लागत और मेहनत फिर रह गई अनदेखी

Raushan Kumar Raushan Kumar
Updated 15 July, 2025 2:48 AM IST
सब्ज़ियों के दामों ने बढ़ाई आम आदमी की मुश्किलें, किसानों की लागत और मेहनत फिर रह गई अनदेखी

सकरा प्रखंड के अंतर्गत सरमस्तपुर सब्ज़ी मंडी में रविवार को सब्जियों के दामों में हल्का उतार-चढ़ाव तो दर्ज किया गया, मगर इसके पीछे की सच्चाई कहीं ज़्यादा गहरी है। एक ओर जहां बाजार में कई हरी सब्जियाँ ऊँचे दामों पर बिक रही हैं, वहीं दूसरी ओर खेतों में पसीना बहाने वाले किसान को उसकी लागत तक वसूल नहीं हो रही।


मंडी में शनिवार को दर्ज किए गए भाव इस प्रकार रहे

कोभी (फूलगोभी): ₹80 प्रति किलो, बैंगन (गुलाबी): ₹20 प्रति किलो, बैंगन (हरा): ₹15 से ₹22 प्रति किलो, टमाटर: ₹40 से ₹60 प्रति किलो, कद्दू (लंबा): ₹5 से ₹7 प्रति पीस, हरा धनिया: ₹100 से ₹125 प्रति किलो, हरा मिर्च: ₹100 प्रति किलो, आलू: ₹16 से ₹18 प्रति किलो, प्याज: ₹20 प्रति किलो, कद्दू (गोल हरा): ₹10 से ₹15 प्रति पीस, भिन्डी: ₹15 से ₹20 प्रति किलो, अरुई: ₹25 से ₹32 प्रति किलो, आदी (नेनुआ): ₹50 से ₹60 प्रति किलो, घिउड़ा: ₹5 से ₹10 प्रति किलो, करैला: ₹15 से ₹20 प्रति किलो, केला (मुठिया): ₹25 प्रति दर्जन, केला (माल भोग): ₹35 से ₹40 प्रति दर्जन, मिर्च ₹100 प्रति किलो, आम: ₹20 से ₹60 प्रति किलो (किस्म पर निर्भर), नींबू: ₹1 प्रति पीस, कटहल: ₹08 से ₹10 प्रति किलो, मूली: ₹40 प्रति किलो, साग: ₹10 प्रति किलो, पालक: ₹10 प्रति किलो, झुगनी: ₹25 प्रति किलो रहा।



किसान को नहीं मिल रहा मेहनत का उचित मूल्य इन भावों के बावजूद किसान बताते हैं कि मंडी तक पहुंचने में उनका ₹3 से ₹5 प्रति किलो खर्च हो जाता है। फिर भी सरकारी खरीद तंत्र या न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी कोई व्यवस्था इन सब्ज़ियों पर लागू नहीं होती। बिचौलियों की मनमानी, ट्रांसपोर्ट का खर्च, और मौसम की मार से किसान की हालत बदतर होती जा रही है।


स्थानीय किसान पत्रकार चंदन कुमार कहते हैं, आज ज़रूरत है कि मंडियों को किसानों के अनुकूल बनाया जाए। डिजिटल रेट डिस्प्ले, डायरेक्ट किसान-बाजार संपर्क और मंडी प्रबंधन में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है।


सरमस्तपुर मंडी के ताज़ा भाव एक तरफ़ उपभोक्ताओं को महँगाई का एहसास नहीं होने दे रहा हैं, तो दूसरी ओर किसानों को उनकी उपज का उचित दाम न मिलने का दर्द दिखाता हैं। मंडी की व्यवस्था और नीतियों में बदलाव लाना अब समय की माँग है।



समस्तीपुर के ताजपुर मोतीपुर में ताजपुर मंडी में लौकी कद्दू 2 से ₹5 प्रति पीस भी नहीं बिक्री हो सका किसान अगले दिन के इंतजार में हर सब्जी को खुला जग में छोड़कर जाने को मजबूर है। सरकार किसानों के लिए बड़े-बड़े दावत तो करते हैं लेकिन धरातल पर सब्जी उत्पादक किसानों के उत्पाद को अस्थाई तौर पर भी स्टोर करने की कोई व्यवस्था बन नहीं पाई है। आवश्यकता है कि जिला के सभी बड़ी सब्जी मंडी में अस्थाई तौर पर सब्जी को स्टोर करने की व्यवस्था बनाई जाए। जिससे किसानों को उसके मेहनत लागत के साथ मुनाफा भी हो पाए।