बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (BAU) ने राज्य के कृषि क्षेत्र को एक नई वैज्ञानिक दिशा देने के उद्देश्य से 1:10k स्केल पर राष्ट्रीय मृदा मानचित्रण कार्यक्रम की पहली समीक्षा बैठक का आयोजन भव्य रूप से किया। यह परियोजना भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण विभाग द्वारा वित्तपोषित है, और बीएयू को इसके सफल संचालन की जिम्मेदारी मिली है।
बैठक का आयोजन बीएयू के अनुसंधान निदेशालय में हुआ, जिसकी अध्यक्षता डॉ. अनिल कुमार सिंह, निदेशक अनुसंधान एवं परियोजना के नोडल अधिकारी ने की। इस अवसर पर डॉ. वाई. के. सिंह (मुख्य मृदा सर्वेक्षण अधिकारी, CSSO), डॉ. अंशुमान कोहली (अध्यक्ष, मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग, SSAC), बीएयू के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं तकनीकी विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
बैठक में बिहार के सभी 38 जिलों की चरणबद्ध मृदा मैपिंग के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs), डेटा संग्रह रणनीतियों, और इंटर-इंस्टीट्यूशनल समन्वय की रूपरेखा पर गहन चर्चा की गई।
कुलपति प्रो. डी. आर. सिंह ने कहा
बीएयू, सबौर को यह नेतृत्व मिलना बिहार के लिए गौरव की बात है। यह मृदा मैपिंग परियोजना राज्य में कृषि नीति, मृदा स्वास्थ्य, पोषक तत्व प्रबंधन और जलवायु अनुकूल खेती के लिए वैज्ञानिक आधार तैयार करेगी। इससे किसानों को क्षेत्र-विशेष जानकारी के साथ खेत के अनुसार खेती की सलाह मिल सकेगी।
डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा
यह परियोजना भारत में मृदा आधारित कृषि योजना को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की एक क्रांतिकारी पहल है। बीएयू की टीम गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ कार्य करेगी। यह किसानों के खेत की असली पहचान उजागर करने में सहायक सिद्ध होगी।
बैठक में डिजिटल डेटा प्रबंधन प्रणाली, फील्ड वर्क संचालन रणनीति, प्रशिक्षण कार्यक्रम, क्वालिटी एश्योरेंस मॉड्यूल, तथा राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय तंत्र को अंतिम रूप दिया गया। यह परियोजना एक जिला - एक मृदा प्रोफाइल की अवधारणा को मूर्त रूप देगी और स्मार्ट कृषि नीति के लिए एक मजबूत वैज्ञानिक स्तंभ साबित होगी।