महिला किसानों की भूमिका को सशक्त करने और धान आधारित कृषि खाद्य प्रणाली में उनकी भागीदारी बढ़ाने हेतु बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में बुधवार एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन IRRI-ISARC, वाराणसी तथा बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के संयुक्त प्रयास से किया गया, जिसमें महिला किसानों और महिला वैज्ञानिकों की क्षमताओं, आवश्यकताओं और चुनौतियों की गहराई से पड़ताल की गई।
महिलाओं की भूमिका को मिला मंच
विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. डी. आर. सिंह ने उद्घाटन सत्र में कहा, भारत में कृषि महिलाओं के बिना अधूरी है। वे खेती की रीढ़ हैं, लेकिन उनके पास संसाधनों और तकनीकी प्रशिक्षण की भारी कमी है। उन्होंने इस तरह की कार्यशालाओं को महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।
कार्यशाला में विशेष रूप से महिलाओं को धान उत्पादन से जुड़ी आधुनिक तकनीकों, कृषि में नवाचार, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), महिला कृषि उद्यमिता, बाजार संपर्क और फसल प्रबंधन जैसे विषयों पर जानकारी दी गई।
वैज्ञानिकों और अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी
इस कार्यशाला में डाॅ. आर. के. सोहाने (निदेशक प्रसार शिक्षा), डाॅ. अनिल कुमार सिंह (निदेशक अनुसंधान), डाॅ. अजय कुमार साह (अधिष्ठाता कृषि), डाॅ. श्वेता शाम्भवी (निदेशक छात्र कल्याण) सहित विश्वविद्यालय के कई वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल हुए। IRRI-ISARC, वाराणसी की वैज्ञानिक टीम ने महिला किसानों और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर चावल आधारित कृषि खाद्य प्रणाली का SWOT विश्लेषण और विशेषित समूह वार्ता (IGT) विधियों के माध्यम से मूल्यांकन किया।
प्रशिक्षण और संवाद से मिली नई ऊर्जा
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था, महिला किसानों की क्षमताओं का आकलन एवं विकास, धान आधारित खाद्य प्रणाली को मजबूत करना, मूल्य संवर्धन और बाजार संबंधी ज्ञान को बढ़ाना, खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना
कार्यक्रम के अंत में महिला प्रतिभागियों से फीडबैक भी लिया गया, जिसमें उन्होंने इस पहल को सराहा और इसे ज्ञानवर्धक, व्यावहारिक और प्रेरणादायक बताया।
बाँका, मुंगेर, खगड़िया, पूर्णिया और भागलपुर जिलों की 25 से अधिक महिला किसानों ने कार्यशाला में भाग लेकर अपने अनुभव साझा किए।