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बिहार ने तय किया 1 लाख करोड़ मत्स्य कारोबार का लक्ष्य, राष्ट्रीय मत्स्य दिवस पर हुई नई घोषणाएँ

AgriPress Staff AgriPress Staff
Updated 13 July, 2025 12:44 PM IST
बिहार ने तय किया 1 लाख करोड़ मत्स्य कारोबार का लक्ष्य, राष्ट्रीय मत्स्य दिवस पर हुई नई घोषणाएँ

राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस 2025 के अवसर पर बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती), पटना में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, बिहार के तत्वावधान में राज्यस्तरीय एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन राज्य की पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी ने किया, जबकि अध्यक्षता विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने की।


इस अवसर पर विभाग के सचिव मनीष कुमार, बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक, नीति निर्माता एवं बड़ी संख्या में मत्स्य कृषक मौजूद रहे। स्वागत भाषण निदेशक मत्स्य, अभिषेक रंजन द्वारा प्रस्तुत किया गया।


कार्यक्रम में बिहार राज्य मछुआरा आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों श्री ललन कुमार, अजीत चौधरी, अरविन्द सिंह, रेणु सिंह एवं राजकुमार ने भी अपने विचार साझा किए।



ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और महत्व

राष्ट्रीय मत्स्य पालक दिवस हर वर्ष 10 जुलाई को प्रो. डॉ. हीरालाल चौधरी और डॉ. अलीकुन्ही द्वारा 1957 में मेजर कार्प प्रजातियों के सफल प्रेरित प्रजनन की उपलब्धि की स्मृति में मनाया जाता है। इस तकनीक को ‘हाइपोफिजेशन’ कहा जाता है, जिसने भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र में क्रांति ला दी।


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बिहार में मत्स्य पालन की उपलब्धियाँ

बिहार राज्य जल संसाधनों से समृद्ध है। यहां 1.25 लाख हेक्टेयर तालाब, 13,804 हेक्टेयर ऑक्स-बो झीलें, 9.41 लाख हेक्टेयर आर्द्रभूमि, 18,154 किमी नहरें और 3200 किमी लंबी नदियाँ मौजूद हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य में मछली उत्पादन 9.59 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। इस उपलब्धि के साथ बिहार देश में आंतरिक मत्स्य उत्पादन में चौथे स्थान पर है।


राज्य से लगभग 39 हजार टन मछली नेपाल, लुधियाना, अमृतसर, सिलीगुड़ी, बनारस, गोरखपुर और रांची जैसे शहरों में निर्यात की जा रही है। निजी क्षेत्र में 232 मत्स्य बीज हैचरियों की स्थापना की गई है, जिनमें से 167 सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। वर्ष 2024-25 में 2100 मिलियन बीज उत्पादन के लक्ष्य के मुकाबले 2044.29 मिलियन बीज का उत्पादन किया गया।



प्रशिक्षण, नीति और सम्मान

अब तक 62,416 मत्स्य किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया गया है, जिनमें 16,999 किसानों को राष्ट्रीय संस्थानों में और शेष को राज्य स्तरीय प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया।


कार्यक्रम के दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए विभागीय पदाधिकारियों और मत्स्य कृषकों को सम्मानित किया गया। सम्मान प्राप्त करने वालों में प्रमोद भगत, आशीष कुमार, रंजीत कुमार, मो. नियाजउद्दीन एवं शिवप्रकाश साहनी जैसे अधिकारी शामिल रहे।


सरकार की प्रतिबद्धता

मंत्री रेणु देवी ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य बिहार को मत्स्य उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य बनाना है। इसके लिए तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण और योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक मत्स्यपालकों तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री मछुआ कल्याण योजना और सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना का विशेष उल्लेख किया।


अपर मुख्य सचिव डॉ. एन. विजयलक्ष्मी ने बताया कि वर्तमान में राज्य में मत्स्य उत्पादन का वार्षिक कारोबार ₹25,000 करोड़ का है, जिसे ₹1 लाख करोड़ तक पहुँचाने की संभावना है। उन्होंने निदेशक मत्स्य एवं विभागीय पदाधिकारियों को राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त मान्यता के लिए बधाई दी।



तकनीकी सत्र और महिला सशक्तिकरण पर विमर्श

कार्यक्रम में बायोफ्लॉक और RAS तकनीक पर डॉ. एकलाकुल रहमान ने संबोधन दिया। साथ ही, कार्यस्थल पर महिलाओं से उत्पीड़न की रोकथाम पर समाज कल्याण विभाग की टीम द्वारा जागरूकता सत्र आयोजित किया गया, जिसमें रश्मि रंजन, अंकिता कश्यप और गुंजन बिहारी शामिल थीं।


संकल्प के साथ समापन

कार्यक्रम का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि बिहार को जल संसाधनों के सतत उपयोग, वैज्ञानिक मत्स्य पालन और बेहतर प्रबंधन के जरिए मत्स्य क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाया जाएगा। धन्यवाद ज्ञापन उप निदेशक मत्स्य पवन कुमार पासवान ने किया और संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन मोना हल्दकार ने किया।