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कृषि समाचार

बीएयू: नवाचार और एग्री-टेक सहयोग का संगम

AgriPress Staff AgriPress Staff
Updated 11 July, 2025 2:08 PM IST
बीएयू: नवाचार और एग्री-टेक सहयोग का संगम

नवाचार और एग्री-टेक सहयोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू), सबौर में बिहार एग्रीकल्चरल रिसर्च चैलेंज (BAU ARC 2025) का फाइनल चरण सफलता के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन ने राज्य भर के विश्वविद्यालयों से आए प्रतिभाशाली छात्र-शोधकर्ताओं और नवाचारकर्ताओं को एक साझा मंच पर लाकर कृषि क्षेत्र की जमीनी समस्याओं के व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया।


फाइनल चरण में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से चयनित ग्यारह छात्रों ने अपने अभिनव शोध-प्रस्ताव प्रस्तुत किए। इन प्रस्तावों में जलवायु परिवर्तन, कृषि उत्पादकता, स्थानीय फसलों का संवर्धन, स्मार्ट कृषि तकनीक जैसे विविध विषयों को शामिल किया गया। छात्रों ने जिन प्रमुख विषयों पर शोध प्रस्तुत किए, वे थे, कृषि आपूर्ति श्रृंखला में ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग, जलवायु-लचीली फसलों के लिए स्पीड ब्रीडिंग, अल्प-प्रयुक्त एवं देशज सब्जियों का संरक्षण एवं संवर्धन, जलवायु-स्मार्ट कृषि पद्धतियों का विकास।



इन शोध प्रस्तावों का मूल्यांकन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - पूर्वी क्षेत्रीय अनुसंधान परिसर (आईसीएआर-आरसीईआर), पटना के वैज्ञानिकों की समिति द्वारा किया गया। मूल्यांकन पैनल में डॉ. बिकास सरकार (प्रधान वैज्ञानिक), डॉ. पी. के. सुंदरम (वरिष्ठ वैज्ञानिक) और डॉ. पवन जीत (वैज्ञानिक) शामिल थे, जिन्होंने प्रतिभागियों को उपयोगी सुझाव और तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया।


कार्यक्रम के दौरान बिहार के चार नवोदित एग्री-स्टार्टअप्स के साथ विश्वविद्यालय द्वारा समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर भी किए गए। ये स्टार्टअप्स निम्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं मशरूम उत्पादन किट का निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कम लागत वाले स्वच्छता उपकरण, गुड़ निर्माण की आधुनिक तकनीकें, कृषि उत्पादों के मूल्य श्रृंखला प्रबंधन एवं ट्रैसेबिलिटी समाधान।


इन समझौतों के माध्यम से विश्वविद्यालय के सबौर एग्री इनक्यूबेटर्स (SABAGRIs) इन स्टार्टअप्स को मार्गदर्शन, प्रशिक्षण, फील्ड-ट्रायल और प्रायोगिक सहयोग उपलब्ध कराएंगे।


कार्यक्रम के समापन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने कहा कि बीएयू एआरसी 2025 केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि यह बौद्धिकता, नवाचार और साहस का उत्सव है। उन्होंने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय युवाओं के लिए एक ऐसा मंच बन रहा है, जहां वे पारंपरिक कृषि प्रणाली को नवीन विचारों और आधुनिक तकनीकों से जोड़ सकते हैं। उनका लक्ष्य है कि बीएयू को पूर्वोदय और आत्मनिर्भर भारत के लिए कृषि-नवाचार की राजधानी के रूप में स्थापित किया जाए।



कार्यक्रम के आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. ए. के. सिंह ने कहा कि हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जहां शोध, स्टार्टअप और धरातलीय कार्यान्वयन को एक साथ जोड़ा जा रहा है। बीएयू सबौर एक ऐसा इकोसिस्टम तैयार कर रहा है, जो किसानों की समस्याओं का समाधान देने वाले विचारों को बढ़ावा देता है। यही सतत और समावेशी कृषि विकास का मार्ग है।


इस कार्यक्रम के सफल संचालन और समन्वय में सहायक प्राध्यापक डॉ. आदित्य सिन्हा एवं डॉ. दीपक कुमार पटेल (विस्तार शिक्षा विभाग, बिहार कृषि महाविद्यालय, सबौर) की भूमिका सराहनीय रही।


बीएयू एआरसी 2025 ने साबित किया कि बिहार में कृषि नवाचार की न केवल अपार संभावनाएं हैं, बल्कि उन्हें साकार करने के लिए प्रतिबद्ध युवा नेतृत्व भी तैयार है।