बिहार के सहकारिता मंत्री श्रवण कुमार ने सोमवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर का भ्रमण कर वहां नीरा प्रोसेसिंग एवं मूल्य संवर्धन पर चल रहे अनुसंधान कार्यों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। उनके साथ सुल्तानगंज के विधायक ललित नारायण मंडल भी उपस्थित थे। मंत्री ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. अहमर आफताब द्वारा संचालित नीरा तकनीक परियोजना की बारीकी से जानकारी ली। उन्होंने नीरा के संग्रहण, प्रसंस्करण, तकनीकी ग्रेडिंग, पैकेजिंग और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद निर्माण की समग्र प्रक्रिया को देखा। डॉ. आफताब ने मंत्री को नीरा से निर्मित उत्पाद जैसे नीरा शरबत, नीरा सिरका, एनर्जी ड्रिंक आदि का प्रदर्शन किया और बताया कि यह मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है, जिस पर विगत कई वर्षों से वैज्ञानिक अनुसंधान चल रहा है।
कुलपति का विज़न परंपरा से नवाचार तक
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) डी.आर. सिंह ने इस अवसर पर कहा नीरा जैसे परंपरागत पेय पदार्थ को वैज्ञानिक नवाचार और तकनीकी दृष्टिकोण से जोड़ना विश्वविद्यालय की ‘Lab to Land’ नीति का सटीक उदाहरण है। डॉ. आफताब के नेतृत्व में विकसित तकनीक से नीरा अब एक स्वास्थ्यवर्धक एवं सुरक्षित पेय के रूप में उभर रहा है, जो राज्य के ताड़ी उत्पादकों के लिए सम्मानजनक एवं वैकल्पिक आजीविका स्रोत बन सकता है।
उन्होंने आगे कहा यह परियोजना मुख्यमंत्री की सामाजिक न्याय एवं आर्थिक सशक्तिकरण की सोच को तकनीकी स्वरूप देती है। नीरा प्रोसेसिंग की यह तकनीक अब पेटेंट के अंतिम चरण में है। हमारा लक्ष्य है कि इसे सहकारी मॉडल के तहत पूरे राज्य में लागू किया जाए, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।
मुख्य उपलब्धियाँ एवं विशेषताएँ
10 वर्षों से समर्पित अनुसंधान
प्रक्रिया और तकनीक पेटेंट के अंतिम चरण में
नीरा उत्पादों में कम शुगर, उच्च पोषण और स्वास्थ्यवर्धक विशेषताएँ
ताड़ी उत्पादकों को सुरक्षित, स्वच्छ और आधुनिक वैकल्पिक रोजगार में बदलने का लक्ष्य
उत्पादों की राष्ट्रीय और वैश्विक ब्रांडिंग की रणनीति तैयार
भविष्य की दिशा सहकारिता मॉडल से गाँवों की प्रगति
मंत्री श्रवण कुमार ने विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह तकनीक "बिहार के ग्रामीण अर्थतंत्र के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।" उन्होंने इसे राज्य स्तरीय सहकारी ढांचे में शामिल करने की संभावना को उजागर किया और विश्वविद्यालय को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहा कि इस तकनीक से न केवल परंपरागत ताड़ी उत्पादन की छवि में परिवर्तन आएगा, बल्कि यह स्वास्थ्य, स्वरोजगार, और सामाजिक सम्मान के साथ जुड़कर एक नई ग्रामीण आर्थिक क्रांति को जन्म देगा।
सहकारिता मंत्री का यह दौरा बिहार कृषि विश्वविद्यालय के लिए न केवल सम्मान और प्रेरणा का क्षण रहा, बल्कि इससे नीरा तकनीक को नीतिगत समर्थन, सामाजिक स्वीकृति और व्यापक आर्थिक विस्तार की दिशा में नई ऊर्जा प्राप्त हुई है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह नवाचार नीरा को वैश्विक मंच पर पहुँचाने और ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने में कितनी बड़ी भूमिका निभाता है।