प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार के विशेष अभियान के तहत मुजफ्फरपुर जिले में एक अहम पहल शुरू की गई है। मुशहरी स्थित कृषि कार्यालय के आत्मा सभागार में आयोजित प्रगतिशील किसानों की बैठक में इस योजना की विस्तृत जानकारी दी गई।
बैठक की अध्यक्षता आत्मा उप निदेशक श्री बिनोद कुमार ने की, जबकि संचालन प्राकृतिक खेती के नोडल पदाधिकारी श्री कुणाल सिंह द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिले के कई अनुभवी एवं नवाचारी किसान भी मौजूद रहे।
प्राकृतिक खेती को लेकर सरकार गंभीर
बैठक में श्री कुणाल सिंह ने बताया कि सरकार अब किसानों को रासायनिक खेती के दुष्परिणामों से उबारते हुए प्राकृतिक खेती को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। केले, लीची, आम, हल्दी, ओल और मोटे अनाज जैसी स्थानीय फसलों को इस अभियान में प्राथमिकता दी गई है।
मुजफ्फरपुर को बनाया गया मॉडल जिला
एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया है कि जिले में रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता में निरंतर गिरावट आई है। इसी पृष्ठभूमि में मुजफ्फरपुर को प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने वाले जिलों में चुना गया है।
750 हेक्टेयर में होगा प्राकृतिक खेती का प्रसार
इस योजना के तहत जिले में कुल 15 क्लस्टर बनाए जाएंगे, जहाँ प्रत्येक क्लस्टर में 125 किसान 50 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती अपनाएंगे। कुल 750 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के लिए विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता
प्रत्येक चयनित किसान को आत्मा और कृषि विभाग की ओर से प्रशिक्षण, जैविक संसाधनों की जानकारी, और खेत-स्तर पर तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाएगा।
प्राकृतिक खेती सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए टिकाऊ कृषि प्रणाली की ओर एक आवश्यक कदम है। मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में इस मॉडल के सफल कार्यान्वयन से पूरे बिहार के किसान लाभान्वित हो सकते हैं।